Happy Rakhshabandhan 🏵️
मेरी बहेन शैतानी करने पर डाँटती है मुझे,
मेरी बहेन भूल करने पर समझाती है मुझे
मेरी बहेन है पल मे खुश रहना शीखाती है मुझे
मेरी बहेन खुद से भी ज्यादा चाहती है मुझे।
मेरे डाँटने पर रूठती है मुझसे
मेरे सताने पर कुट्टी है मुझे
मेरे हारने पर खुद भी टूटती है
उसके होने से मुझमे हिम्मत जुटती है।
मेरे रोने से पहले ही रो देती है
मेरे टूटने से पेहले झि जोड़ देती है
खुद की ही बेवकूफी पर मुझसे ही पहले हस देती है
मेरे कहने से पेहले ही मुझे अपनी हर चीज़ दे देती है।
उसको देखते ही जान मे जान आती है
मेरी भूल पर मम्मी पर वो मुझे बचाती है
मेरे इतने सताने पर भी अपने दोस्तो मे मेरे ही किस्से सुनाती है
मेरी बहेन मुझे क्यों इतना चाहती है?
उसकी मुस्कान से मैं अपने सारे दर्द भूलता हु
उसके साथ खेलते-खेलते अपने सारे काम भूलता हु
उसके सिर्फ डाँटने से अपनी सारी गलतियां भी सुधार लेता हु
उसके साथ होने से खुद को मेहफ़ूज़ मेहसुस करता हु।
मेरे रुठने पर मुझे मनाती है
मेरे उदास होने पर हसाती है
मेरे टूटने पर मुझे जीतने का होंसला दिलाती है
मेरी बहेन मुझे खुद से भी ज्यादा चाहती है।
हर राखी का मैं बेसबरी से इंतेज़ार करता
लेकिन मैं अपनी ही दुनिया मे खो जाता
फिर भी वो मेरे लिए सबसे बड़ी राखी लाती है
मेरे तोफा न देने पर भी सहम जाती है!
ऐसा नही मैं मेरी बेहेन को नही चाहता
मैं भी उसके रुठने पर उसे मनाता
उसकी हताशी पर म8 भी उसके चेहरे पर मुस्कान सजाता
मैं उसके खुश होने पर खुद भी खुश हो जाता।
मेरी बहेन थोड़ी प्यारी है
थोड़ी नटखट, थोड़ी न्यारी है
थोड़ी शैतान ज़रूर है, फिर भी मेरी दुलारी है
मेरी बहेन थोड़ी प्यारी है।
मैं मेरी बेहेन से हर तरह से जुड़ा हु
तु भूख है, तो मैं नास्ता हु
तु मंज़िल है, तो मैं रास्ता हु।
तु पानी है, तो मैं प्यास हु
तु हार तो, मैं आस हु।
तु जीत तो, मैं मीत हु
तु राग तो, मैं संगीत हु।
तु खुश है तो, मैं जिंदा हु
तु आकाश तो, मैं परिंदा हु।
तु सरीर है तो, मैं परछायी हु,
तु बहेन तो, मैं भाई हु।
तु बहन तो, मैं भाई हु।
~Utsav Shah

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